आज हम समाज में कई तरह की चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना कर रहे हैं। कोरोना से उपजी भयावह समस्या के साथ- साथ तमाम अन्य तरह की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और साइबर क्षेत्र से जुड़े मुद्दों और विषमताओं ने सम्पूर्ण समाज को झकझोर दिया है। व्यक्ति जो की समाज की हर अच्छी- बुरी घटनाओं से ही संचालित और प्रभावित होता है क्योंकि समाज व्यक्तियों के संयोजन से ही बनता है, तो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर ऐसी समस्याओं का बहुत ही नकारात्मक असर पड़ता है। कई बार तो वह उससे बाहर निकल पाने की स्थिति में नहीं होता, और मानसिक बिमारियों का शिकार हो जाता है।
हमें यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि व्यक्ति के समुचित विकास और सुनियोजित दिनचर्या के लिए उसका अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति में होना आवश्यक है। आज व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर चोट करने लायक बहुत सारी स्थितियां हैं। कोरोना महामारी ने कईयों के सगे-सम्बन्धियों का जीवन छीन लिया, लोगों की आर्थिक स्थिति बेपटरी हो चुकी है, घरों में कैद लोग मानसिक अलगाव महसूस कर रहे हैं, पढाई- रोजगार लोगों में असंतोष की स्थिति ला रहा है, इसके अलावा बढ़ते साइबर अपराध, सोशल मीडिया के द्वारा मिलती नकारात्मक खबरें और सामाजिक मानकों- मूल्यों की खुली अवहेलना जैसे अनेकानेक विषय हैं, जो लोगों की मानसिक स्थिति को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं। आज के समय में व्यक्ति- व्यक्ति के लिए, समुदाय- समुदाय के लिए, और देश-देश के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, अविश्वास का वातावरण व्याप्त है, ऐसे में उसी समाज में रहने वाले व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी कैसे हो सकती है? और ये एक व्यक्ति, परिवार और समाज के रूप में एक बड़ी भयावह स्थिति को जन्म दे रहा है।
ऐसे में हमें यदि व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्वस्थ होने से बचाना है, उसके मानसिक विकास और सामाजिक, व्यावसायिक उन्नति को सुरक्षा प्रदान करना है, तो प्रयास सम्पूर्णता में करने की आवश्यकता है। हमें व्यक्तिगत स्तर पर अपने विचारों में बदलाव लाकर सकारात्मक सोच को बल देने की जरूरत है। सकारात्मक सोच व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि उसके जीवन को भी सफल बनाने का बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक आयाम है।
सकारात्मक सोच समस्या पर अधिक ध्यान देने की बजाय हमें उसके समाधान की ओर लेके जाती है, हमें नए रास्ते सुझाती है, हमारे भीतर धैर्य और मनोबल को मजबूत करती है, और अगर जोखिम भी उठाना पड़े, तो हमें बिना तनाव के उसके लिए तैयार करती है। इसी तरह से सामाजिक और मानवीय मूल्य जो हमारे व्यवहार के मूल आधार होते हैं, हमारे क्रिया-प्रतिक्रिया को सही दिशा देने का काम करते हैं, उनका लोगों के जीवन में अवमूल्यन हुआ है। भौतिकतावादी चीजों में ध्यान केन्द्रित हो जाने से लोगों को परिवार और स्कूलों से मिलने वाली मूल्य-परक शिक्षा उपयोगी नहीं प्रतीत होती, जबकि ये मूल्य और उनका मजबूत विकास ही हम सभी के सोच, व्यवहार और उन्नति को सही रास्ता प्रदान करते हैं।
ऐसे सामाजिक और मानवीय मूल्यों के विकास से व्यक्ति में अपनी आत्मविश्वास को बल मिलता है, उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है, इतना ही नहीं, सामाजिक सपोर्ट से आपकी इच्छाशक्ति को मजबूती मिलती है, और समाज के अन्य लोगों को आपसे प्रेरणा भी मिलती है। जरा सोचिये, अगर समाज में प्रत्येक व्यक्ति सकारात्मकता और मूल्यों को प्राथमिकता देना सुनिश्चित कर ले, तो समाज की उन्नति किस गति से होगी। व्यक्ति अपने साथ ही साथ अपने आस पास के माहौल को भी सकारात्मक रखने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है; और चूँकि समाज व्यक्तियों के संयोजन से ही बना एक निकाय होता है, तो अगर उस समाज के प्रत्येक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति होती है, तो निश्चित ही समाज भी उन्नति करेगा और नकारात्मकता के चंगुल में नहीं जकड़ेगा।
ऐसे सामाजिक और मानवीय मूल्यों के विकास से व्यक्ति में अपनी आत्मविश्वास को बल मिलता है, उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है, इतना ही नहीं, सामाजिक सपोर्ट से आपकी इच्छाशक्ति को मजबूती मिलती है, और समाज के अन्य लोगों को आपसे प्रेरणा भी मिलती है। जरा सोचिये, अगर समाज में प्रत्येक व्यक्ति सकारात्मकता और मूल्यों को प्राथमिकता देना सुनिश्चित कर ले, तो समाज की उन्नति किस गति से होगी। व्यक्ति अपने साथ ही साथ अपने आस पास के माहौल को भी सकारात्मक रखने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है; और चूँकि समाज व्यक्तियों के संयोजन से ही बना एक निकाय होता है, तो अगर उस समाज के प्रत्येक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में उन्नति होती है, तो निश्चित ही समाज भी उन्नति करेगा और नकारात्मकता के चंगुल में नहीं जकड़ेगा।
संक्षिप्त परिचय: अनुपम पाण्डेय एक समाज मनोवैज्ञानिक हैं, जो वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में पीएच.डी. शोधार्थी हैं। आप यूजीसी द्वारा मनोविज्ञान विषय में जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ़) के लिए चयनित हैं। आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान विषय में एम.एससी की डिग्री हासिल की है। आप मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा पांच वर्षों (2011-16) के लिए मेरिट-कम-मीन्स स्कॉलरशिप के लिए भी चयनित रहे हैं। सामाजिक अन्याय और हिंसा, जाति और धर्म के मनोविज्ञान, अंतर्सामूहिक संबंध, सामाजिक स्थितियों में निर्णय प्रक्रिया, नैतिक व्यवहार और सामाजिक मानकों के उल्लंघन जैसे महत्वपूर्ण शोध क्षेत्र आपके रुचि के विषय हैं। आपके अनेक पत्र-पत्रिकाओं में मानसिक स्वास्थ्य और अन्य सम्बंधित विषयों पर लेख प्रकाशित होते रहते हैं।